SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1256
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र भावार्थ 48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी अविभागपलिच्छेदा प० ? गोयमा ! अणता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ॥ नेरइ याणं भंते ! नाणावरणिजस्स कम्मरस केवइया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ॥ एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं पुच्छा गोयमा ! अनंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता, एवंसव्व जीराणं एवं जहा नाणावर - णिजस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्ठण्हवि कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव माणियाणं अंतराइयस्स ॥ ९ ॥ एगभेगस्सणं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवप्पए से नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स केवइएहिं अविभाग पलिच्छेदेहिं आवेदिय परिवेढिए ? अहो भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म के कितने अविभाग परिच्छेद है ? अहो गौतम ! अनंत अविभाग परिच्छेद है. अहो भगवन् ! नारकी को ज्ञानावरणीय कर्म का कितना अविभाग परिच्छेद कहे ? अहो गौतम ! अनंत अविभाग परिच्छेद कहे. ऐसे ही वैमानिक तक चौविस ही दंडक को ज्ञानावरणीय के अनंत अविभाग परिच्छेद कहे हैं. जैसे ज्ञानावरणीय का कहा वैसे ही आठों कर्म प्रकृतियों का चौवीस ही दंडक आश्री अनंत अविभाग परिच्छेद जानना || ९ || अहो भगवन् ! एक २ जीव के एक प्रदेश को ज्ञानावरणीय कर्म के कितने अविभाग परिच्छेदोंने ढका है विशेष ढका है ? अ गौतम ! क्वचित् ढका हुवा * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy