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शब्दार्थ झि० जले जो० आग्नि झि० जले ॥ १२ ॥ सरल शब्दार्थ *
जोईझियाइ !! १२ ॥ जीवेणं भंते । ओरालिय संरीराओ कइकिरिए ? गोयमा । सिय तिकिरिए, सियचउकिरिए, सियपंचकिरिए , सियअकिरिए ॥ नेरइएणं भंते !
ओरालियसरीराओ कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सियचउकिरिए, सियपंचकिरिए ॥ असुरकुमारेणं भंते ! ओरालिय सरीराओ कइकिरिए एवं चेव जाव वेमाणिए, णवरं मणुस्से जहा जीवे। जीवेणं भंते ! ओरालिय सरीरेहिंतो कइकिरिए ?
गोयमा ! सियतिकिरिए, जाव सियअकिरिए ॥ नेरइएणं भंते ! ओरालिय सरीरेहितो भावाथ
जलता है यावत् वंशादि आच्छादन नहीं जलता है परंतु आग्नि जलती है॥ १२ ॥ प्रज्वलन क्रिया परशरी- 4 राश्रय है इस से परशरीर सो उदारिकादि आश्री जीव का प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! एक जीव उदा- ब. रिक शरीर से कितनी क्रियाओं करे ? अहो गौतम ! क्यचित् तीन क्रियाओं, काचित् चार क्रियाओं क्वचित् पांच क्रियाओं करे और क्वचित् क्रिया रहित भी होवे. अहो भगवन् ! नारकी को परकीय उदा-500 रिक शरीर से कितनी क्रियाओं लगे ? अहो गौतम ! नारकी को परकीय उदारिक शरीर से क्वचित् ।
तीन क्वचिन् चार व काचित पांच क्रियाओं लगे. ऐसे ही मनुष्य छोडकर सब दंडक का जानना, मनुष्य 17 में क्वचित तीन, काचित् चार, क्वचित् पांव क्रियाओं लगे और काचित् अक्रिय भी होवे ॥ १३ ॥१॥
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र
आठवा. शतकका छठा उद्देशा 9
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