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48403 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
ओगपरिणया ? गोयमा ! मणप्पओगपरिणयावि, एवं एका संजोगो, दुयसंजोगो, तिय संजोगोय भाणियन्वो ॥ जइ मणप्पओग परिणया किं सच्चमणप्पओगपरिणया ? गोयमा ! सच्चमणप्पओगपरिणया जाव असच्चामोसमणप्पओगपरिणयावा, अहवा- एगे सच्चमणप्पओगपरिणए दो मोसमणप्पओगपरिणया; एवं दुयसंजोगो तियसंजोगोय भाणियव्यो, एत्थवि तहेव जाव अहवा एगे तंस संठाण परिणए, एगे चउरससंठाण परिणए, एगे आययसंठाण परिणएवा ॥ २५ ॥ चत्तारि भंते ! दव्वावि पओगपरिणया ? गोयमा ! पओगपरिणयावा, मीसापरिणयावा, वीससा परिणयावा अहवा एगे पओग परिणए तिाणवि मीसा परिणया, अहवा एगे पओग परिणए, तिाण परिणत है तो क्या सत्यमन प्रयोग यावत् व्यवहार मन प्रयोग परिणत है ? अहो गौतम ! सत्यपन प्रयोग यावत् व्यवहारमन प्रयोग परिणत अथवा एक सत्यमन प्रयोग परिणत दो असत्यमन प्रयोग परिणत ऐसे ही द्वी संयोगी तीन संयोगी एक चौरस संठाण एक लम्बगोल संस्थान परिणत तक जानना. ॥ २५ ॥ अहो भगवन् ! क्या चार द्रव्य प्रयोग परिणत, मीश्र परिणत व वीस्रसा परिणत हैं ? अहो गौतम ! तीनों परिणत हैं. अथवा एक प्रयोग परिणत तीन मीश्र परिणत, एक प्रयोग परिणत
आठवा शतक का पहिला उद्देशा
भावार्थ.