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अष्टमांग-अंतगड दशांग सूत्र
भारदेव से अणओवि अमयाओवि खलु सरिस्सए जाव पुत्ते पयाताओ ॥ १६ ॥ तं गच्छागिणं अरहं . अरटुनेमी वंदामि नमंसामी इमंचणं एतारूव वागरण पुच्छिसामित्तिक, एवं संप्पेहेति २त्ता कोडुवीय पुरिमे सद्दावेइ२त्ता एवं वयासीलहुकरण जणपवरं जाव उववेइति ॥ जहाण देवदा जाव पज्जुवासति ॥ ११ ॥ तएणं अरहा आरिट्टनेमि देवई देवी एवं क्यासी-सेणणं तवदेवइदेवी ! इमेय छअणगारे
पासित्ता अयं अज्झथिए जाव समुप्पत्ते-एवं खलु अहं पोलासपुरनगरे अतिमुत्तेणं से या मरे कृष्ण केही जैसे पुत्र जनने वाली है ॥१६॥ इसलिये इस संशय की निवृति करने अब जावू में अहन्त अरिष्टनेमोनाथ को वंदना नमस्कारकर यह इसप्रकारका प्रश्न पूलूंगी एमा विचार किया ऐसा विचारकर कुटम्बिक पुरुष को बोयाला, दोलाकर यो कहनेलगी शीघ्रगति बालारथ प्रधान लायो । उन पुरुष ने शीघ्रगति वाला रथ तैयार कर लाकर खडा किया, जिस में देवकीदेवी आरूड होकर जिसमें
भगवती मेंकही हदेवनंदा ब्रह्मणी भगवंत के दर्शन करने आईथी. उसही प्रकार देवकी देवी भी श्री नेमनाथ भगवान के दर्शन करने आई यावत् मेवा भक्ति करनेलगी ॥१७॥ तब अरिष्टनमीनाथ * भगवान् देवकी देवी से यों कहने लगे यों निश्चय हे देवकी देवी ! इन छ साधुओं को देखकर तुझेः इस% प्रकार अध्यवसाय यावत् उत्तम हुवा, यों निश्चय मुझे पोलासपुर नगर में अति मुक्ति कुमार श्रमणने कहा
48844 तृतीय-नर्गका अष्टम अध्ययन
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