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________________ * 4 एकारसम.सा पनरस्त दिवसा; च उण्हं कालो तिण्हय वासा दसमासा संसं तहेव जाय सिद्धा ।। २ ॥ नवम अज्झयण सम्मत्तं, ॥ ८ ॥ ९॥ एवं महा सण कण्हावि णवरं-आयंत्रिलं वढमाण तयो कम्म उवसंगजित्ताणं विहरति, तंजहा-आयं विलयं करतिरत्त,चउत्थंकरोति,बेआयंविलयं करेतः,चउत्थ करेत्ता, तिणि आयं बिलियंकरत्ता, चउत्थं करेत्ता, चत्तारि आयंबिलय करेत्ता, चउत्थं करेत्ता, पंच आयंबिलिवं करेत्ता, चउत्थं करेत्ता, छ आयंबिलियं करेत्ता, चउत्थं करेत्ता, सत्त आयंबिलियं करेत्ता, चउत्थं करेत्ता, एए उत्तरियाएवठाए आयंबिलायं बलृति, चउत्थं तिवारई, ऐसे ही चारों परवाडी जानना. प्रथम में सर्व प्रकार आहार, दूपरी के पारने में विगय त्याग, तीसरी के पारने में लेप मात्र का त्याग और चौथी के पारने में आयंबिल तप किया ॥ २ ॥ इस की एक परिवारी में इग्यारे महीने पनरह दिन लगते हैं, और चारों परिवाही में तीन वर्ष और दश महीने लगते हैं, शेष *अधिकार पूर्वोक्त प्रकार जानना यावत् सिद्ध हुई ॥ इति अष्टम वर्ग का नवमं अध्ययत संपूर्ण ॥ ८ ॥९॥ ऐसे ही महासेनकृष्णा राणी का भी जानना. यावत् दीक्षा धारनकर आयंबिल वृद्धमान तप करती विचरने लगी-तद्यथा-एक आयंबिल कर एक उपवास किया, दो आयंबिल कर एक उपवास किया, 1Vतीन भायंबिल कर एक उपवास किया, चार आयंषिल कर एक उपवास किया, पांच आयंबिल कर एक अष्टमंग-अंतगड दशांग सत्र अष्टम-वर्गका दशम अध्ययन 488081 498 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
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