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अर्थ
अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
सव्वकाम०, दुवालरस में क० सव्वकाम०, चोदसमं क० सव्यकाम०, सोलमं करेइ २ सव्वकाम०, चउत्थं सव्वकाम करेइ, छट्टीलया ॥ ६ ॥ दुवालसमं करेइ, सव्वकाम • चोदसमं करेइ २, सव्वकाम०, सोलमं करेइ, सव्वकामगुण, चउत्थं करेइ, सव्वकाम ० छट्ठे करेइ २, सव्वकामगु०, अट्ठमं करेइ, सव्वकाम० दसमं करेइ • सव्वकाम •, सत्तमलया || ७ || एक्क्क्कालो अट्ट २ मासा, पंचदिवसा, चउण्डं दोवासा अट्ठमासा, विसदिवसा, सेसं तहेव जाब सिद्धा || सत्तमं अज्झयणं सम्मतं ॥ ८ ॥ ७ ॥ x एवं रामकण्हावी, पणवर-भदुतर पडिमं उवसपजित्ताणं विहरति, तंजहा- दुबालसमं
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किया, द्वादशम भक्त कर पारना किया, सोलेड भक्त कर पाना किया, चौथ भक्त कर पाना {किया, यह छठीलता ॥ ६ ॥ द्वादश भक्त कर पाना किया, वह भक्तकर पारना किया, सोलह भक्त
कर पारना किया, चौथ भक्तकर पारना किया, छाना किया, अटल भक्त कर पारना किया, दशम भक्तकर पाना किया,
वो लग
में एक परिवाड़ी में आठ २ महीने पांचर है सब अधिकार तैसे ही जानना यावत् सिद्ध
दिन लगते हैं, चारों में दो
दिन
{हुई || ८ || सातवा अध्ययन समाप्त ॥ ८ ॥ ७ | ऐसे ही रामकृष्णा रानी का अधिकार जानना. दीक्षा ले विचित्र प्रकार के तप करने लगी, विशेष-भद्रोचर प्रतिमा अंगीकार कर विचरने लगी, तद्यथा— द्वादश
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• प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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