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अनुवादक-शलब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋपिजी 24
__ करेइ २ ता सबकामगुणिय पारेइ २ ता, अट्टम करेइ २ चा सवगुण
पारेइ २ त्ता, अट्ठ छट्ठाई करेति २ त्ता, सव्व काम गुण पारेइ २ त्ता, चउत्थ करति २ त्ता सव्व काम गुणियं पारेति २ त्ता, छटुं करति २ त्ता सन्त्र कामगुणियं पारेति २त्ता अट्ठमं कति २,ता सबकामगण पारिति, दसमं करेति २त्ता, सव्व काम गुन परिति, दुवालसमं करेति, सव्व काम ,चौदसमं करेति, सव्व सोलरसमं करेति, सम्वकाम०, अट्रारस्ममं करेत्ति सन्न काम.. वीसइमं करेति. सव्व काम.,
बावीसइमं करेति, सब काम ०. चवीसनं करेति २, सव्व काम. छब्बीसइम तद्यथा-चौथ भक्त (एक उवास) किया, चउत्थ भक्त कर, सर्व प्रकार के रसोपभोगकर पारना किया, पारनाकर छठ भता [ला ] किया लाकर सर्व प्रकार के रसोपभोगकर पारना किया, पारना कर अटम (तेला) किया, तेराकर सर्व प्रकार के रसोपभोग का पारना किया, फिर आठ छट भक्त [बेले किये, फिर पारना किया च उत्थ भक्त किया, पारना किया, छठ भक्त कर पारना किया, हर म (सेला ) कर पारना किसा, दशम भक्त (चोला) कर पारना किया द्वादशम भक्त (पचोला) कर पारनाया , चौदह भक्त (छ उपावास) कर पारना किया, सोलेह भक्त [सात उपवास कर पारना किया, अठारा भक्त (आठ उपवास) कर पारना किया, बीस भक्त [नव
.प्रकाशक राजावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी.
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