________________
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
नगरे विजएनामं राया होत्था ॥ १ ॥ तस्सणं विजयरेस रन्नो सिरिनाम देवीहोत्या वण्णओ ॥ २ ॥ तस्सणं विजयस्स रणो पत्ते, सिरिए देवीए अत्तए, अइमुत्ते नामे , कुमारे होत्था, सुकुमाले ॥ ३ ॥ तेणं कालणं, तेणं समएणं, समणं भगवं महावीर जाव सिरिवणे विहरंति॥४॥ तेणं कालेणं तेणं समएणस्त समण भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूइए जहा पन्नत्तीए जाब पोलासपुरे णयरे उच्चनीय जाव अडत्ति
॥ ५ ॥ इमंचणं अतिमुत्ते कुमारे व्हाए जात्र विभूसिए, बहुहिं दारएहिय, कारिहिक पोलास पुरनगर में विजय नाम का राजाराज करता था ॥ १ ॥ उन विजय राजा के श्री देवी नामे की रानीथी वर्णन योग्य ॥ २ ॥ उन विजय राजा का, पुत्र, श्री देवी रानी का आत्मजं अतिमुक्त नाम का कुमार था, वह सुकोमल शरीर का धारक था ॥ ३ ॥ उम काल उस समय में श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी यावत् श्री वन उध्यान में तप संयम से अपनी आत्मा को भावते हुवे विचरने लगे ॥४॥ उससे काल उस समय में श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी के बडेक्षिष्य इन्द्रभूती (गौतम) नामक अनगार के शरीरादि का सब वर्णन भगवती सूत्र प्रमाने जानना यावत् वेला के पारने में भिक्षार्थ पोलास पुर नगर में ऊंच नीच मध्यम कुल में अटन कर रहे थे ॥५॥ इधर अतिमुक्त कुमार यावत् विभूषित होकर बहुत
.प्रकाशक राजावहादुर लाला सुक्देवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ।
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International