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________________ mmmmmmmmmmmmmm अप्पडिहयोराया, सुकण्हादेवी, महचंदकुमारे, तस्स अरहदत्ताभारिया, जिणदासपुत्ते, तित्थगरागमणं, जिणदासो, पुव भवो-मज्झिमिया णयरी, मेहरहोराया, सुहम्मे अणगारे पडिलाभिए, जाव सिद्धे ॥ पंचमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ५ ॥ छठुस्स उक्खेवओ कणगपूरं गयरं, सेयासेयं उजाणे, वीरभद्दाजक्खो, पियचंदो राया सुभद्दादेवी, वेसमणे कुमारे, जुबराया, सिरीदेवी पामक्खिा पंचसया, तित्थगरागमणं धणवइ जुवरायपुत्तो, जाव पुत्रं भवं-मणिवया गयरी, मितोराया, संभ. तिविजय अणगारे पडिलाभिए, जाव सिद्ध ॥ छटुं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ६ ॥ सत्तमस्स उकाखेवो ॥ महापुरंणयरं, रत्तासोगं उजाणं, रत्तापाल जक्खा, बलेराया, सुभद्दा पूर्वभव-मज्झिमिका नगरी,मेघरथराजा,सौधर्म अजगार प्रतिलाभे यावत् सिद्धहुवाजिन्दापका पांचवा अध्ययन छहा अधीन का उक्षे कनकपुर नगर, श्वेताशोक उध्यान, कीरभद्रयक्ष, प्रियचंद्रराजा, सुभद्रादेवीरानी, वैश्रमण कुमार युवराजा,श्रीदेवी प्रमुख५०० कुमगनी योनीर्थकर पधारे,धनवती युवराजाका पुत्र ।। पूर्व भव पूच्छा. मणिवयानगरी,मित्रराजा,संभूतीविजय अनगार प्रतिलाभे यावत् मुक्ति प्राप्तहुवे ॥धनपति का छट्ठा यध्याय ॥६॥ 10 सातवा अध्यायन का उक्षेप-महापुरनगर, रत्ताशोक उध्यान, रक्त पाल यक्ष वलनामे राजा, सुभद्रा देवा 49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी. • प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600256
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_vipakshrut
File Size22 MB
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