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आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चईत्ता कहिंगछंति,कहि उववजहिंति? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झहिंति जाव सत्र दुक्खाणं अंतं करेंति ॥ ३६ ॥ निक्खेबो कामदेस्स उवासक दसाणं वीयज्झयणं सम्मत्तं ॥ २ ॥ . स्थिति कही है. अहो भगवन् ! कामदेव उस देवलोक से आयुष्य भव का स्थिति का क्षय कर निरन्तर चव कर कहां जायगा कहां उत्पन्न होगा ? अहो गौतम ! महा विदेह क्षेत्र में सिद्ध होगा. यावत् सर्व दुःख का अन्त करेगा ॥ इति कामदेव श्रावक का द्वितीय अध्ययन संपूर्ण ॥२॥
42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
.प्रकाशक-राजाबहाद्दर लाला मुखदेव सहायजी पालाममादजी .
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