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________________ स - सप्तमांग उपशिक दशा सूत्र पचक्खाति॥२॥तदाणं तरंचणं वत्थविहि परिमाणं करेति-नन्नत्थ एकेणं खोमजुयलणं, अवसेसं वत्थविहं पच्चक्खाइ ॥ २८ ॥ तदाणं तरंचणं विलेवणविहिं परिमाणं करेति. नन्नत्थ अगर कंकम चंदण मादितेहि, अवसेसं विलेवणविहं पचक्खाति ॥२९ ।। तदाणे तरंचणं पुप्फविहिं परिमाणं करेइ-णण्णत्थएगणं सुद्धपउमेणं मालइयं कुसुमदामेणं, अवसेसं पुप्फविहिं पञ्चक्खाती ॥३० ॥ तदाणं तरंचणं आभरणविहिं परिमाणं करेइ-णण्णस्थ मटकण्णेजातेहिं नाममुद्दाएय अवसेसं आभरणविहिं पञ्चक्खाती॥३१॥ तदाणं तरंचणं धूवविहिं परिमाणं करेइ-नन्नत्थ अगरुतुरुक्क धूवमादितेहिं, अवसेसं. धूवणविहिं पञ्चाक्खाति ॥ ३२ ॥ तदाणं तरंचणं भोयणविहिं परिमाणं करेमाणे - जाति के वस्त्र को प्रत्याख्यान ॥ २८ ॥ तदनन्तर विलेपन विधीका परिमाण किया-कृष्णागार कुंकुम चंदन का मर्दन उपरान्त विलेपन विधिका प्रत्याख्याना॥२६॥ तदनन्तर फूलकी विधिका परिमाण किया-फत्त सुगन्धी पौंडरिक कमल और मालती का फूल इन की माला. इन उपरान्त फूल की विधी का प्रत्याख्यान ॥ ३० ॥ तदनन्तर आमरण (भूषण) विधी का परिमाण किया-फक्त चित्रवन्त आठ खूनेवाले कान के कुंडल और नामांकित मुद्रिका, इन दों भूषण उपरान्त भूषण के प्रसाख्यान ॥ ३१॥ तदनन्तर धूप का परिमान किया. फक्त अगर भौर कृष्णागर सेल्हारस धूप इन सिवाय धूप के प्रत्याख्यान ॥ ३२ ॥ तद 8+ आणंद श्रावक का प्रथम अध्ययन 488 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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