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अर्थ
अर्थ
- सप्तदश चंद्र मइति सूत्र पठ
एगेपुण एवं मासु, एगदिवं एगंसमुद्द अण्णमण्णस्स अंतर कट्टु र आहितेति वदेज्जा एगेएवमाहंसु ॥ ४ ॥ एगेपुण एवं माहंसु ता दोन अण्णमण्णस्म अंतरं कट्टु महितति वदेजा, एगेएवं माहं ॥ ५ ता तिग्निदिने तिग्भिलनु, अण्ण्णस्स अंतरं कहुजन हि मासु || ६ || त्रयपुण एवं वयामो-ता पंचपंच जोयणाई पन्न जोयणस्स एगमंगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं, चारं चरंति अहितेति वदेजा ॥ १ ॥ सत्थणं
द्वीप व एक समुद्र का अंतर रखकर चलते हैं, ५ कितने अंतर रखकर चलते और ६ कितनेक ऐना कहते हैं कि चाल चलते हैं. और हम ऐसा कहते हैं कि पांच २ यो योजन का परस्पर अंतर करते हुवे आभ्यन्तर मंड मांडले से आभ्यंतर के मंडलपर जावे. ॥ १ ॥ प्रश्न- इस चलता है ? उत्तर- यह जम्बूद्वीप नामक द्वीप यावत् प
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