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एवं एएणं अभिलावेणं जाव थेव ततिए पाहुडे दुवालम पडिवत्तीओ ताओ चत्र इहवि जेयव्या. व सत्त दस जाव चवतरि चंद सहस्स बावत्तरि मरिय सहस्म सबलोगंसि उभासंति आहितेत बदेजा एगे एक माहम ॥ १॥ वयं पूण एवं व्यामो सा अयण्णं जबद्दीदीवे जाव परिषखेजता जबदीवेणं दिवेणं दिवे दो चंदा पभासिनु पभासंति जहा जीवाभिमे जाव ताराओ ॥ २ ॥ त! जंबदीवेणं दीव लवणेनाम समुह बटु बलयागारे संठिते सध्यओ समंता
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उन्नीसवा पाहडा
१५ चंद्र दशसर्गरह चंद्र बारह सूर्य ७ च्यालीम चंद्र थालीन मूर्य ८ बहत्तर चंद्रबहसर सी गलीस मा चंद्र बयालीस सा सूर्ण १० बहत्तर मी चंद्र, हत्तर सो मूर्य, ११ यालाम हजार
मरीम रजार पूर्य १२ वहत्ता हजार चंद्र बार इनार सूर्य सव लोक में उद्योत करते हैं यावत् है - प्रकाश करने ॥ १ ॥ इस कथन का ह। एने कहते कि यर जम्बुद्धीप नामक एक लक्ष योजन
कारमा चौदा यावत् कमिवाला है. इस में दो चंद्र दो सूर्य उद्यान करते हैं, सपत. यावत् प्रकाश T.रने *. इस का कथन से जीना भिगम में कहा कैनै जानना. अर्थत् दो मूर्य तप. तपते हैं व तपेंगे.
१७६ मा ३५६ क्षत्रोंग योग किया. करत हैं व करेंगे. एक लाख तेत्तीस हजार ना सो पञ्च स केटाहो नाराओंने शोभा की, शेभा करत हैं व शोभा करेंगे ॥२॥ इस जम्बूद्वार नामक दीप को
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