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________________ अर्थ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक कृषिजी चरंति, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं णक्खत्त कति मंडलाई चरइ ॥ ता एगं. अद्ध मंडलं दोहिं भागेहिं अहिंय संतहिं दुतिसहिं सएहिं अद्ध मंडलं छेत्ता चरंति॥ १५ ॥. ता एगमेगेण मंडले चंदे कतिहिं अहोरत्तहिं चरति?ता देोहिं अहोरत्तेहिं एकतीसाए भागेहिं आहितेहि वउहिं बेतालेहि सतेहिं रातिंदियंच्छेत्ता, चरति ताएगमगेण मंडले सूरे कतिहिं १९१५ हैं. इस से ९१५ को १८.३० से भाग देने से एक आधा मंडल पूग आता है. अहो भगवन ! एक अहोरात्रि में नक्षत्र फितने मंडल चलता है ? अहो गौतय ! एक अहोरात्रि में नक्षत्र एक मंडल के १७३२ भ ग करे वैसे ३६७ भाग चलता है. क्योंकि एक युगमें १.८३० अहोरात्र हैं और ९१७॥ नक्षत्र मंडल हैं. ११७ को १८३० से भाग देने से इतने होते हैं ॥५॥ अहो भगवत् ! एक २ मंडल चंद्र कितनी अहोरात्रि में चलता है? अहो गौतम ! एक २ मंडल पर चंद्र दो अहोरात्र व एक अहो. रात्रि के ४४२ भाग करे वैसे ३१ भाग. (२ ) अहोरात्रि में चलता है. एक युग में १८३० अहो-* रात्रि हैं और चंद्र ८८४ मंडल चलता है इस मे १८३० को ८८४ मे भाग देने में अहोराधि होवे ? अहो भगवन् ! एक २ मंडल पर मूर्य कितनी अहौरात्रि में चलता है ? अहो गौतम ! सूर्य एक २ मंडल पर दो अहो रात्रि में चलता है. क्यों की एक युग की १८३० अहोरात्र हैं और मंडर ११५ हैं, १८३० को ९१५ से गुना करने से दो अहोरात्रि हे ती है. अहो भगवन् ! एक २ मंडल पर नक्षी शक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्यालाप्रमादजी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.anelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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