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________________ 4894 48 सप्तदश-चंद्र प्रज्ञप्ति सत्र षष्ट-उपा448 पुच्छा ? ता पण्णरस चउभागाति मंडलानि चरति ॥ ता आइच्चे मासेणं णक्खत्तेणं पच्छा ? ता पण्णरस च उभागाति मंडलातिं पंचायवास सभागे मंडलस्स चरति ॥ १३ ॥ ता अभिवहिएणं मामण चंदे की मंडलानिति ? ला पण्णरस मंडलात में आदित्य मास ६० हैं और सूर्य मंडल २१५ हैं. हर १५५ का नाम देनेमे १५॥ रहे. अो भगवन् ! एक आदित्य पास में नक्षत्र किलो डलन ? हो गोला एक आदित्य मास में नक्षत्र १५ मंडल पांव भन... या चले अयंत् १५१ मंडल १ भाग २४ या चले. क्योकि एक युग में आदित्य माम६.: और नक्षत्र ११७॥ मंडल चलता है. इस को ६० से भाग देने १५ मंडल संपूर्ण आये ऊपर १७॥ रहा उस के २४ या भाग करने को २४ से गुनने से ४२० हुवे. उमे ६० का भाग दने मे ७ आये. इस स एक आदित्य माम में नक्षत्र १५ डल और ७ भाग २४ या चलता हैं ॥ १३ ॥ अहो भगवन् ! अभिवर्धन माम में कितने डर पला? अहो गोरम! पनाह मंडाव एकजल के १८३ भाग करे पैसे ८३ भाद्र अभिवर्धन मास में चलता है. एक युग में अभिवर्धन मास ५७३ घर चंद्र एक या ८८४ मंडल चला है. यहां मात के री। भाग करने को ५७ का १३ समुह करके तीन मिलाना ५७४१३%D७४१+३-७४४ होते. यह एक अभिवर्धन युग के जाना. इसको जिसने मास के मंडल निकालना हो उतने को १३ सेगुनना और जो . ....-- ... ---. . आने मामंटल जानना. यहां प्रथप ' पनदरहमा पाहुडा 38302 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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