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- अनुवादक-बालबाह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी"
अण्णणं तारिसएणं णक्खत्तेगंजोगं जोएति अन्नसि देसंसि । ता जेणं २ णवत्तेगं चंदै जोगं जोतेति जसि देससि सेणं इमाति च उप्पन्न मुहुससहस्प्लाति णवयमुहुत्त सयाई उपत्राणिवत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तणं जोगं जातंति, तसि देसेसि ता जणं णखत्रोण चंदे जोगं जातेति जसि देससि सेणे इमाई
एगमुहुत्तं स सहस्स अट्टण तिंच मुहृत्तसयाति उबावणिपित्ता॥ पुणरवि से चंदे तणं वही चंद्रमा काल से १६३८ मुर्त ४२ भाग ६२ ये ६७ चरणि भाग ६७ ये इतना काल गये पीछे पुन: अन्य वैसे नक्षत्र की साथ योग करता है. अर्थात प्रथा नक्षत्र मास के प्रथम समय में जो नक्षप्रम हावे वह नक्षत्र तीसरे नक्षत्र मास के प्रथम समय योग को ना १६३८ मुहू ४१ भाग ६२ ये ६५ भाग ६७ ये इतना काल व्यतीत हो जाने जिन मात्र कीनाथ जिस दिशा में चंद्रमा की सथ करें उम काल से ५४१८० मुहूने गये पीछे पुनः चंद्र अन्य उसी ही नक्षत्र की साथ उम ही दिशा में , योग करे अर्थात् युग की आदि में प्रथम नक्षत्र में जो नक्षत्र का योग होचे वही नक्षत्र अनुक्रम में योग स्य जता हुवा ६७ नक्षत्र माम पूर्ण होकर ६८ वे नक्षत्र मास में चंद्र की साथ योग करे तब ५.४१००१ मुहर्न होव. जिस नक्षत्र की साथ जिस देश में चंद्र गोग करे वहां एक लाख अट्ठण हजार मुहूर्त गये पाछे ।
न्य वैसा ही नक्षत्र की साथ योग करता है, अर्थात संपूर्ण चक्र में ६, नक्षत्रों हैं. यह नक्षत्र के
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवमहायजी ज्वाला
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