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अनुसदक-चालब्रह्मचारी मुनि श्री अगालक ऋषिजी
जेसिणं णवखतःणं छसया तिसति सत्तसीभागातिम् ति भागाणं सीमाविक्खंभी तणं दो आ भया तत्थणं जेते णवत्ता एगेय सहस्सं पंचुत्तरसत्तसट्ठीभागा जाव सीमाविक्खंभो तेणं दुवालस तंजहा-दो सतभिसयाओ जाव दो जेट्ठाओ ॥ तस्थणं जते णक्खत्ता जेणं णक्खत्ता दोन्नि सहस्सा दसुत्तरा सतसट्ठीभागा जाव सीमाविक्खंभो तेणं तांस तंजहा-दो सवणा जाव दोपुष्वासाढातो ॥ तत्क्षणं जेते णक्खत्ता जसिणं णक्खत्ता तिन्निसहस्सा पण्णरसुत्तरा सत्तसट्ठीभागा जाव
दुवालसं तंजहा दो उत्तराभवयाओ जावदो उत्तरासाढाओ ॥५॥ता एतेसिणं छप्पणाए मडठिये तीमिये भ ग का है जिन के नाम. दो शतभिषा यावत् दो ज्येष्ठा, उक्त बारह नक्षत्र मडस टये मादृतेतीसीए भाग के हैं. इम कोहीस से गुणा करने से १.०५ भागोरे. और उसे बारह गुणा करने से १२०६० भाग जाना. नीस नक्षत्र का भीमा विष्कम २०१० सडसठीय तानिये भ ग का है जिनके नाम. दो श्रवण यावन दो पूर्वाष डा. उक्तीस नक्षत्र ६७ ये भ ग के उस बोतीम में गुगने में २०१० होने हैं. पुन: इमे ३० गुणने १०३०० भाग होवे फर बारह नक्षत्र कापीमा विभ तीन हजार पभरह सहमठिये तीसीये भाग का है जिन के नाम-दो उत्तर भ द्रपद यावत् दो उत्तराषदा, यह बारह नक्षत्र ६७ ये १०० ॥ भ ग के हैं इस वा ३० मो गुणा करने से ३०१५ होवे. इो बारह गुन करने से ३६१८० भाग होवे. ॥ ५ ॥ अहो भगवन! इन उप्पन नक्षत्रों में से कितने नक्षत्र सदैव प्रात:काल
प्रकशक-राजाबहादुर ला सुखदेवसहायजी ज्याला
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