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________________ + सप्तदश चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र-षष्ठ उपाङ्ग पुणरवि-उग्गावती, भोगवती, जसवती सव्वट्ठसिद्धा, सुहा णामा॥ पुणरवि,-उगमावती' भोगवती, जसवती, सव्वदसिद्धा, सुहा णामा॥ पुणरवि-उग्गावती, भागवती,जसवंती, सवट्ठसिद्धा, मुहा णामा ॥ एते तिगुणा तिहिंतो सबसि राईणं ॥ दसमस्स पण्णरसमं पाहडं सम्मत्तं ॥ १० ॥ १५ ॥ * ता कहंत गोत्ता आहितति वदेजा ? ता एतेसिणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिते अहो शिष्य ! एक २ दिन की पन्नरह तथि कही. जिन के नाम-१ नन्दा २ भद्रा ३ जया ४ तूर्या ( लोकिक में रिक्तातीथी कहाती है. )५ पूर्णा. यह पक्ष की पहिली पांच तीथी, पुनरपि ६ नंदा ७ भद्रा ८ जया १ तूर्या और १० पूर्णा. फोर भी पांच ११ नंदा १२ भद्रा १३ जया १४ तुर्या और १५ पूर्णा. यड पन्नाह तीथी हुइ. इस तरह पांच नाम की तिथी को तीन गुना करने से पनरह तीथी होती है. ॥ १ ॥ अब रात्रि तीथी किमको कहते हैं? एक २ पक्ष को पारह रात्रि तीथी कही है. जिन के नाम-उगावती २ भोगावती ३यशवती ४सर्थ सिद्धा और ५ भा. फोर भी ६गाववी ७भोगावती यशवती ९सर्वार्थसिद्धा और १. शुभा. फोर भी ११ उगापती १२ भोगावती १३यशवती १४सर्वार्थमिद्धा और १५ शुभा. या सर्व सत्रिकी १५ तीथी कही. यह दशवाका नरवा अंतर पाहुडा संपूर्ण हुवा ॥१०॥१५॥ अब दश का सोलहवा पाहुडा कहते हैं-अहो भगवन् नक्षत्र के गोच किस प्रकार कहे हैं ? भगवान ० दशवा पाहुडे का सोलहवा अंतर पाहुडा 4.83 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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