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________________ सारमा षण्णत्ते ॥ २९इति दसमस्स पाहडस्से नवम पाहडं सम्मत्तं ॥.. ॥ ९ ॥ ता कहं ते णेया आहितेति वदेज्जा,? ता वासाणं पढम मासं चत्तारि णक्खत्ता अति प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी तारे. यह दशवा पाहुडा का नवधा अंतर हडा संपूर्ण हुवा. ॥ १० ॥ ९ ॥ है अच दशया अत्तर पाहुडा कहत है. अहो भगात ! शाप के मत में कौन २ से नक्षत्र अहोरात्रि संपूर्ण करे ? अहो शिष्य वर्षाकाल के प्रथम म.स अर्थात श्रावण मास में चार नक्षत्र अहरात्रि संपूर्ण में करे जिनके नाम-१ उत्तराषाढ २ अभिजित श्रवण और ४ धाना. उत्तर पाढा च उदह अहो रात्र संपूर्ण करे अर्थात् श्रावण वदी १ मे श्रावण वदी १४ पर्यंत, अभिजित नक्षत्र ७ अहोरात्र संपूर्ण कर अर्थत् श्रावण वदी ३० स प्रावण झुदी ६, श्रवण नक्षत्र अठ अहो रात्रि संपूर्ण करे अर्थत श्रावण शुदी मे १४ तक और धनिष्ट एक अहो रात्रि संपूर्ण कर, अर्थात् श्रावण शुदी ९५ की रात्रि संपूर्ण कर. उक्त चार नक्षत्रं श्रावण मास संपूर्ण कर. चार अंगुठ पुरुषछाया में सूर्य परिभ्रमण कर. श्रावण मास की प्रथम अहोरात्र वदी प्रतिपदा से प्रतिदिन एक २ मंडल पर चलता हुवा मर्य उस मास के चरम दिन अर्थात् श्रावण शदी ५ को दो पांव और चार अंगुल की पौरपो हावे. ॥ १ ॥ अहो , भगवन् ! वर्षाकाल के दूसरे मास में कितने नक्षत्र अहोरात्रि संपूर्ण करे ? अहो शिष्य ! दूसग भाद्रपद मास में चार नक्षत्र अहोराचि संपूर्ण करे. जिन के नाम १ धनिष्ठा २ शतभिषा ३ पूर्वाभाद्रपद mmmmmmmmmmmmmmmmmmmanamam भनुपदक-बालब्रह्मचारामुनि श्री अमाकाषजी Jain Education International For Personal & Private Use Only | www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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