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: भारए सनशाहिर मंडलंबसंकमिचा चारं चरति तयाणं उत्तम कट्टपत्ते अट्ठारस मुहचराई भवति जहानिया दुबालस मुह ते दिवसे, तमिच गं दिसांस सूरिए दुपारसी पाय नियति त. उगा । मुह र. में प्रथमण महुलित लेसं अभिवड्डेमाणेशा निमःणेवा आहितेति वदेज, एगी. माहं ॥१॥ एग पुण एवं माहंमु ता.. बयाणं मूरिए सम्यमतर मंडलं उमंकलित चरं बरति तेसिं चणं दिवससि हरिए दुपारसी छायामिव्वतंति संजहा उम्गमम मुहत्तेलि अस्थमण मुहुचमि तंतसं अभिवमाणेवा निनाणेश, ता जयाण परिर नव्यय हिरं मडलं उपसंकमिता चार पति तसिंचन दिवससि मुरिए न किंधिवि पोरसिकायं नित्तेति तजहा उभामण
संसि अस्थमण महुनि सकेस मेने अभिड्डेमणे व निवड्माणवा अहितति 1. सबसे अभ्यर महलपर चाल चलता र क अप दिन दशवन्ध वारा..पुरा
कीम शेती है. उन दिन सूर्य दो पुरुष छाया बनाता है तथा दूपन मुहूर्त में व असम में पर्व में सूर्य की लेया में वृद्धि होती है और अस मुहूर्त में सर्थ की लेया की ही Fl माया हिरवार र पलना बर किचिव शमा भी नहीं बनाक्ष-गामा
मता
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