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________________ 488+ सप्तदश चंद्रमइति सूत्र- पष्ट उपाङ्ग 42 चन्द्रप्रज्ञप्ति मूत्र की विषयानुक्रमणिका. | प्रथम मंगलाचरण बीस ही प्राभृत का संक्षिप्त वर्णन प्राभृत प्रति माभूत प्रतिवत्ति का यंत्र सब अन्तर पाहुडे का संक्षिप्त कथन ( प्रति प्राभृत मंडल प्रमाण द्वितीय प्रति प्राभृत-मंडल संस्थान तृतीय प्रतिमाभूत-मंडल क्षेत्र चौथा प्रति प्राभृत-ज्योतिषी अंतर ( पांचवा प्रति प्राभृत-दीपादि में गति अन्तर छठा मति प्राभृत-अहोनिश क्षेत्र स्पर्श सातवा प्रति प्राभृत- मंडल संस्थान. आठवा प्रतिमाभृत-मंडळ प्रमान द्वितीय प्राभृत प्रथम पति प्राभृत-तिरछीगति प्रमाण. द्वितीय प्रति प्राभृत-मंडल संक्रमण. Jain Education International १ ८ २४ ३३ ३८ ४५ ४९ ५६ ५८ ७० ७६ तृतीय प्रति प्राभृत-मुहूर्त गति प्रमाण ७७ तृतीय प्राभृत-क्षेत्र प्रमाण. ९४ चतुर्थ प्राभृत-ताप क्षेत्र संस्थान. ९९ 1. पांचवा प्राभृत-लेश्या प्रतिघात. १११ षष्ट प्राभृत प्रकाश कथन. 998 सप्तम माभृत प्रकाश संक्षिप्त. १२२ अष्ठम प्राभृत उदय अस्त प्रमान. १२४ नवम माभृत-पुरुष छाया प्रमाण. दशम प्राभृत. १४० प्रथम प्रतिपाहुड-नक्षत्रों का योग. द्वितीय प्रतिपाहुड-नक्षत्र मुहूर्त गति. १५३ १५५ सूर्य चन्द्र के साथ नक्षत्र का काल का यंत्र. १६१ ततीय अन्नर पाहुड-नक्षत्र दिशा भाग. १६२ For Personal & Private Use Only __4%+488+ अनुक्रमणिका 4-848488+ www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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