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का द्वितीय तस्कन्ध 4the
पढमझयणस्त उक्खेवओ-एवं खलु जंघु ! तेणे कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हादेवी ईसाणे कप्पे कण्हवडसए विमाणो सभाए सुहम्माए कण्हसि सीहासणांस सेमं जहा कालीए ॥ एवं अटुवि अज्झयणा कालीगमएणं णायन्वा, णवरं पुवभवो वाणारसीए दोजणीओ, रायगिहे गयरीह पोजीओ, सावत्थी णयरीह दोजणीओ, कोसंबीओ दोजणिओ ॥ रामपिया धम्मामाया सव्वओवि पासस्स अरहो अंतिए पन्वइयाओ ॥ पुष्फलाए अजाए सिस्सिणीयत्तो ईसागस्सय अग्गमहिसीओ, ठिती णवपलिओ,
8+4+ दवा वर्ग Athaat
प्रथम अध्ययन कहते हैं-मो जम्बू! उस काल उस समय में राजगृह नगर में भगवंत महावीर स्वामी पधारे. परिषदा वंदना करने को निकली यावत् पर्युपासना करने लगी. उस काल उस समय में कृष्ण देवी ईशान देवलोक में कृष्णावतंसक विमान की सुधर्मा सभा में कृष्ण सिंहासन पर शेष काली जैसे कहना. ऐसे ही आठ अध्ययन काली जैसे जानना. विशेष में पूर्व भव का कथन. दो बानारसी नगरी में दोराजगृही नगरी में, दो श्रावस्ती नगरी में और दो कौशाम्ब नगरी में रामपिता व धर्मा माता. सब श्री पार्श्वनाथ अरिहंत की पास प्रबजित हुई. पुष्पच्ला भाषा की शिष्यणो बनी. ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियों हुई स्थिति नवा पल्लोषण कीमहाविदेश क्षेत्र में सीझेगी, बुझेगी, मुक्त होगी या सब दुःखों का अंच करेगी. महो।
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