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सूत्र
अर्थ
*पष्टताधर्मकथा का द्वितीय श्रुतस्कंध
पण्णासाए वाससहरसेहिं अब्भहियं. सेसं जहा कालिए || एवं सेसाओवि मुहुराए जयरी, मायापियरो धूसरित णामए ॥ अट्टमो वग्गो सम्मतो ॥ ८ ॥ ४ ॥
एवं
मनमस्स उक्खेबओ - एवं खलु अंबु ! जात्र अट्ठ अज्झयणा पनंता, तंजहा - पउमासिवा सुती, अंजु रोहिणी नवमिया इवा अयला अच्छा || पढमज्झयणस्स उक्खेवाओ जंबू ! तेंणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवसिति ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमाबाई देवी सोहम्मे कप्पे पउमवडिसए (देवेन्द्र की अग्रमहिषीपने उत्पन्न हुई, इन की स्थिति आधा पत्योपय व पचास सब अधिकार काली जैसे जानना शेष तीनों मथुरा मगरी में हुई मात पिता के नाम पुत्री जैसा जानना और सब काली देवी समान जानना, यह आठवा वर्ग संपूर्ण हुवा ॥ ८॥ P 2 (:) आठ अध्ययन कहे हैं. जिन के नाम- १ पद्म २ शूचि ४ अंज ५ रेहिणी ६ नवमिका ७ अचछा और ८ अप्सरा. इन में पहिला अध्ययन कहते हैं, उस काल उस raat देवी सौधर्म देवलोक में साविक विमान की सुधर्मसभा में पद्म सिंहासन पर वगैरह सब काली जैसे जानना. काली जैसे आठ अध्ययन कहना. परंतु विशेषता इतनी की दो श्रावस्ती
हजार वर्ष की है. शेष
(:)
अब नववा उक्षेषा कहते हैं. इस के
समय
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44+ नवत्रा वर्ग 4
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