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बनवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी.
नागपुरे नगरे सहसंयत्रणे उजाणे, कमलस्स गाहवतिरस कमलसिरी भारिया, कमलोंदारिया। पासरस अंतिते निक्खंतो, कालस्स पिसाय कुमारिदस्स अग्गमहिसीओ, अद्धपाल ओवनं द्वितीए एवं सेसावि अज्झयणा दाहिणिलाणं वाणमं. तरिंदाणं भाणिअब्बाओ ॥ सन्बो पागपुरे, सहसंबवणे उज्जाणे, मायपिया धूया सरिस नामया, ठिति अदपलिओवमं ॥ पंचमो वग्गो सम्मत्तो ॥ ५ ॥ ३२ ॥ . छट्ठोवि बग्गो पंचमवग्ग सरिसो, गवरं महाकालिंदाणं उत्तरिखाणं इदाणं अग्गमंहिसीओ, पुन्वभवे-सागेय नपरे, उत्तर कुरुउजाणे, मायापिया धूया सरिस नामया सेस तंवेव ॥ छट्ठोवग्गो सम्मत्तो ॥ ६ ॥ ३२॥:: :
:: आधा पस्योपय की जानमा. ऐसे ही दक्षिण के बाणव्यतर के शेष सब अध्ययन जानना. सब नागपुर में महसन बन उद्यान में हुई. मातपिता व कन्या का नाम देवी के नाम से जानना. सब की स्थिति आधा पल्यापम की जानना. यह पांचवा वर्ग संपूर्ण हुवा ॥५॥ ___पांचना वर्ग जैसे छठा वर्ग जानना. इस में उत्तर दिशा के महाकाल पिशाच इन्द्रों की मनमडिषियों हैं. पूर्व भव में साकेत नगर और उत्तर कुरु उद्यान मानना. पाव, पिता व कन्या का नाम देवी जैसे ही मानना, पह छठा वर्ग संपूर्ण दुवा ॥ ६॥ ...
काशक रामबहादुर बालासुखदेवसहायणी माला प्रसादी
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