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________________ सूत्र अर्थ 48 अनुवादक -बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषि+ अन्नं तुमं महया २ रायाभिसेएणं अभिसिचामि ॥ तरणं से कंडरीए पुंडरीयस्स रणो एयम णो आढाति जाब तुसिणीए संचिट्ठति ॥ ततेणं पुंडरीएराया कंडरीय दोच्चपि तचंपि एवं वयासी-जाव तुसिणीए संचिट्ठति ॥ ८ ॥ त एणं से पुंडरीएराया कंडरीयं. कुमारं जाहे नो संचाएति, बहुहिं अघत्रणाहिय पण्णवर्णााहिय ४, ताहे अकामएचेव एयमट्ठे अणुमण्णित्था जाब क्खिमणाभिसेएणं अभिसिंचति जाव थेराणं सीस भिक्खं दलयति, पव्वतीए, अणगारे जाए, एक्कारसंगीविउ ॥ ९ ॥ ततेणं धम्म घोसा थेरा भगवंत अन्नया कयाइ पुंडरीगिणीओ रायहाणीओ जलिणीवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमति २त्ता बहिया जणवय विहारं विहरति ॥ १० ॥ ततेणं तस्स कंडरीतुम्हारा बडा राज्याभिषेक करूं. कंडरीकने पुंडरीक के इन वचनों का आदर किया नहीं यावत् मौन { रहा. तब पुंडरीकने कंडरीक को दुमरी वक्त भी वैसा ही कष्ठा परंतु वह मौन रहा ॥ ८ ॥ जब पुंडरीक {राजा कंडरीक को बहुत कहने सुनने मे समजाने को समर्थ हुत्रा नहीं तब अनिच्छा से इस बात को मान्य की यावत् दीक्षा महोत्सव किया. यावत् स्थविरों को शिष्य भिक्षा दी. कंडरीक प्रत्रजित बनकर अनगार } हुए और अग्यारह अंग का अध्ययन किया ॥ ९ ॥ स्थविर भगवंत पुंडरिकिनी नगरी के नलिनी वन उद्यान में से नीकलकर बाहिर देश में विचरने लगे ॥ १० ॥ कुंडरीक अनगार को अंत प्रांत वगैरह Jain Education International For Personal & Private Use Only ● प्रकाशक- राजावादु काला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी. ७४२ www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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