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प्रकाशक राजाबही
अनुगदक-लब्रमचारीमुनि श्री अमो के ऋषिजी +
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निधिसए आणत्तेसमाणे भभंडभत्तोवगरण मायाए मिहिलाओ नयरीएओ मिक्खमह २ चा विदेहं जणवयं मझमझणं जेणेव कुरुजणवए जणव हत्थिणाउर णयरे, तेणेव उवागच्छइ२ त्ता भंडणिक्खेवं करेइ २ त्ता चित्तफलगं सजेतिरत्ता मल्लीएविदेह रायवरकण्णए पायंगुट्ठाणुसारेणं रूवं णिवत्तेइ २त्ता कक्खंतरंसि लुब्भइत्ता २ त्ता महत्थ ना पाहुडं गेण्हह २त्ता हत्थिणापुर णयरं मझमज्झणं जेणव अदिण्णसतुराया, तेणेर उवागच्छइ २ त तं करयल जाब वडावेति २त्ता पाहुडं उघणेति २त्ता एवं वथासी एवं
खलु अहं सामी ! मिहिलाओ रायहाणीओ कुंभगस्सरन्न पुत्तेणं पभावतीएदेवीए अपने भंड पात्र उपकरण लेकर मिथिला नगरी से निकलकर विदेह देश में से होता हुवा हस्तिनापुर नगर की पास आया. वहां उसने अपना सामान रखा और चित्र का पटिआ लेकर मल्लीविदेह राजवर कन्या का सम के अंगुष्ट के अनुसार रूप बनाया. उने कक्षा (बगल) में लिया और दूसरा राजा को योग्यं महा मूल्यवाला निजराना लेकर हस्तीना पुर नगर की बीच में हो अदिन्न शत्रु राजा की पाम गय. वहां जाकर हाथ अंडकर राजाको बधाया, और महा मूल्यवाला भेटग रखका ऐंमा बोला अहाँ स्वामिन्! मिथिला राज्यधानी के कुंभ राजा का पुत्र व प्रभावती देवी के आत्मन मलादिन कुमारने मुझे देश
मुखदव सहायश्री ज्वालाप्रसादमी .
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