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48 अनुवादक-पालनमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिणी
रज्जलाभो भोगलाभो-सुखलाभो देवाणुप्पिए! एवं खलु तुम देवाणुप्पिए! णवण्हं मासागं बहुपडिपुष्णाणं अट्ठमाणं राइंदियागं बिइकताणं अम्हंकुलकेउ अम्हंकुलदीवं,कुलपव्वये, कुलवडिंसंयं, कुलतिलयं, कुलकित्तिकर, कुलवित्तिकर, कुलणेदिकर, कुलजसकर, कुलाधारं, कुलपायचं, कुत्र.विवद्धणकर सकुमाल पाणिपाय जावदारयं पयाहिसि॥सेवि. यणं दारए उमकवालभाव विण्णाय परिणथमित्तेजावणगमणपत्तं संवारे विकते विच्छिपणविपुल वाहणे रजर्वईराया भविस्सइ ॥ तं उरालाणं तुमेदेवीए सुमिणेदिट्ट जावे आरोग्गतुट्टि दीहाउ कल्याण कारएणं तुमेदेवी सुमिणे दिटुचि कहू, भुजो २ अणुबृहेइ ॥ २० ॥ तएणं साधारिणीदेवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्तासमाणी हट्टातुट्ठा और अहो देवानुमियसवानव मास व्यतीत हुवै पीछे हमारकुल में दनासमान हमारे कुलका दीपक,कुल पर्वत,कुलावतंसक,कुल तिलक,कुर कीर्तिकर,कुलको आनंद करनवाला,कुल को यशः देनेवाला,कुलका भापार,कुलको वृक्ष समान, कुलकी वृद्धि करनेवाला और कोमल हस्न पवियाला यावत् पुत्र होगा.और वह पुत्र अब पाल भाव (बाल्यावस्था से मुक्त होकर विज्ञानवंत होता हुवा पुवावस्थाको प्राप्त होगा. सब शुरवीर पराक्रम विस्तीर्ण विपुल यल वाहनयाला राजाओंका राजा होगा.इस लिये अहो देवी! तुमने उदार स्वप्न देखा है. यावत् आरोग्य तुष्ट दीर्घायुष्यवाला, कल्याणकारक ऐसा तुमने स्वप्न देखा है. पेमा कहकर पुन: पुन:
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसाद
मावाथा
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