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________________ श्री वीराय नमः। श्री श्रमणोपासक श्री संघ समस्त, जोग श्री अहमदाबाद (राजनगर)से लि. श्रमणोपासक श्रीसंघ समस्त के प्रणाम स्वीकृत हो । सादर सेवामें निवेदन है कि-हालमें कितनेक समयसे अपने जैन समाजमें अनिच्छनीय वातावरण हुआ था। वो दूर होकर पुनः शांति स्थापित हो ऐसी परम शुभेच्छासे सब पूज्य मुनिमहाराजोंका सम्मेलन यहाँ पर संवत् १९९० फाल्गुन कृष्णा (चैत्रकृष्णा) ३ रविवारसे मिला था और चैत्रकृष्णा (वैशाखकृष्णा) ७ के रोज सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ है। मुनिसम्मेलनने सर्व सम्मतिसे किये हुए निर्णय भारतवर्षके श्रीसंघको एकत्रित करके सुनानेके लिये निमंत्रण करनेका हमने निश्चय किया था, परन्तु यहाँ पर रोगका उपद्रव चालु रहनेसे निमंत्रण करनेका स्थगित रक्खा गया। जिससे इसके साथ (१)भारतवर्षके जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघसे प्रार्थना, (२) मुनिमहाराजोंको हमारे श्रीसंघकी ओर से भेजे गये निमंत्रणकी नकल, (३) मुनिसम्मेलनके शुभ मुहूर्तके दिनका स्वागतका व्याख्यान, (४) श्रीजैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक भाईयोंसे जाहिर विज्ञप्ति, (५) यहाँके श्रीसंघको मुनिसम्मेलनके निर्णय पढ सुनाये, उस समयका सम्मेलनके कार्यकी रूपरेखा बतलानेवाला व्याख्यान और (६) मुनिसम्मेलनके निर्णय; आपके श्रीसंघको जानने के लिये भेजे हैं, जो मिलने पर आपके श्रीसंघको एकत्रित करके विदित करनेकी प्रार्थना है। वंडावीलाः अहमदाबाद. लि. श्रमणोपासक श्रीमंघ समस्त ..... वी. सं. २४६०: वि.सं. १९९० (१९९१) कस्तूरभाई मणिभाई के ... चैत्र कृष्णा (वैशाखकृष्णा) ११: मंगलवार. प्रणाम स्वीकृत हो। in Education For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600251
Book TitleAkhil Bharatiya Jain Shwetambar Muni Sammelanne Sarv Sammati se Pattak rup me Kiye Hue Nirnay Vikram Samvat 1990 Year 1934
Original Sutra AuthorShree Sangh Rajnagar
Author
PublisherShree Sangh Rajnagar
Publication Year1934
Total Pages28
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Tithi, Devdravya, & History
File Size4 MB
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