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विविध पूजन संग्रह
॥ ७९ ॥
नमोऽर्हसिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः
सहदेवी शतमूली, शंखपुष्पी शतावरी, कुमारी लक्ष्मणा चैव, स्नापयामि जिनेश्वरम् ॥१॥ (अनुष्टुप) सहदेव्यादिसदौषधि-वर्गेणोद्वर्तितस्य बिम्बस्य । संमिश्रं बिम्बोपरि, पतज्जलं हरतु दुरितानि ॥२॥ (अनुष्टुप)
ॐ हा हो परमाईते परमेश्वराय गन्ध-पुष्पादि-संमिश्र-नदी-नग-तीर्थादि-मृच्चूर्ण-संयुत-जलेन स्नापयामीति स्वाहा ।
॥ इति पंचम स्नात्रम् ॥
छठी कुसुमांजलि नानासुगन्धि-पुष्पौघ.....................बिम्बे ॥१॥ (पूर्व अनुसार) ॐ हाँ हाँ हूँ हैं हौ हः परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामीति स्वाहा ॥
श्री अठारह अभिषेक
॥७९॥
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