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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ ५९॥ ॥ अथ मन्त्रध्यानम् ॥ नीचेना मंत्रना १०८ जाप करवा । ॐ अ सि आ उ सा द ज्ञा चा ते भ्यो नमः ॥ इति मन्त्रः ॥ अथ देववन्दनम् । (चैत्यवंदन) - इरियावही करी खमा० देवू ।। जो धुरि सिरिअरिहंतमूलदढपीठपइट्ठिओ, सिद्ध-सूरि-उवज्झाय-साहु चिहुं साह गरिट्ठिओ ॥१॥ दसण-नाण-चरित्त-तव हि पडिसाहासुन्दरु तत्तक्खरसरवग्गलद्धि-गुरुपयदलदुम्बरु ॥२॥ दिसिवाल-जक्ख-जक्खिणी, पमुहसुरकुसुमेहिं अलंकिओ। सो सिद्धचक्कगुरुकप्पतरु, अम्ह मणवंछिय फल दिओ ॥३॥ जं किंचि-नमुत्थणं-अरिहंतचेइयाणं-अन्नत्थ-एक नवकारनो काउस्सग्ग पारी नमोऽर्हत् कही नीचे प्रमाणे स्तुति बोलवी । श्रीसिद्धचक्रपीठस्थमर्हमित्युज्ज्वलं पदम् । ॐ ह्रीं अनाहतोपेतं वन्दे मन्त्रस्वरावृत्तम् ॥१॥ लोगस्स-सव्वलोए-अन्नत्थ-एक नवकारनो काउ० पारी नमोऽर्हत्, स्तुति बीजीश्रीसिद्धचक्राष्टदलस्थसिद्धा-दिसत्पदाराधनतत्पराणाम् । विधीयते यैः स्वपदप्रसाद-स्ते तीर्थनाथा मम शं दिशन्तु ॥२॥ श्री सिद्धचक्र पूजन विधि ॥५९ ॥ Join Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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