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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ ५५ ॥ ए प्रमाणे स्नात्र करीने श्रीसिद्धचक्रने चोक्खा अंगलूंछणाथी साफ करी बृहद्वृत्तपाठपूर्वक अष्टप्रकारी पूजन करवू । . ॥अथाष्टप्रकारपूजनम् ॥ पहेली जलपूजा ॥ १. ॐ ही श्रीपरमेष्ठिने नम इति क्लेशापहैः शीतलैः श्रीवल्लीं बहुपल्लवां बहुफलां तन्वद्भिरेभिर्नरैः (जलैः) ॥ ॐ ह्रीं अर्हमनाहताख्यममलं सारं रहस्यं श्रुते-रस्योसा नम इत्यभीष्टफलदं श्रीसिद्धचक्रं यजे ॥१॥ ॐ ही श्री श्रीसिद्धचक्रं जलेन अर्चयामीति स्वाहा ॥ कलश करवो ॥ ॥ इति जलपूजा ॥ बीजी चंदनपूजा ॐ ह्रीं श्रीपरमात्माने नम इति प्रोल्लासिभावोद्भवैः, श्रीवश्याद्भुतयोग-सिद्धिजनकैर्गन्धैः सुगन्धोल्बणैः ॥ ॐ ह्रीं अर्हमनाहताख्यममलं सारं रहस्यं श्रुते-रस्योसा नम इत्यभीष्टफलदं श्रीसिद्धचक्रं यजे ॥ ॐ ह्रीं श्रीं श्रीसिद्धचक्रं चन्दनगन्धेन अर्चयामीति स्वाहा ॥ ॥ इति चन्दनगन्धपूजा ॥ | श्री सिद्धचक्र पूजन विधि For Personal Private Use Only
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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