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विविध पूजन संग्रह
॥ ५२ ॥
हाथमां कळशो राखीने आ पांच श्लोक- स्तोत्र मधुर-तारस्वरे भणदुं । पछी चार जणा जमणी बाजु अने चार जणा डाबी बाजु अने एक जण सन्मुख ऊभा रहे ने नीचे प्रमाणे श्लोकमंत्र बोलीने स्नान करे। (१) कलशाकारश्रीसिद्ध-चक्रविहितावतारमर्हन्तम् ।।
शिवशान्तिकृते भक्त्या, स्नपयामः क्षीररसकलशैः ॥ ही श्री क्षीररसकलशेन श्रीसिद्धचक्रं स्नपयामति स्वाहा ॥ ॥ इति क्षीरस्नात्रम् ॥
॥२ अथ दधिस्नात्रम् ॥ ॐ हाँ ही दधिसमुद्रोद्भवानि दध्युदकान्येतेषु स्नात्रकलशेष्ववतरन्त्ववतरन्तु संवौषट् ॥
आ मंत्र बोली दहीं भरवू । कलशाकारश्रीसिद्धि-चक्रविहितावतारमर्हन्तरम् । शिवशान्तिकृते भक्त्या, स्नपयामः सुदधिरसकलशैः ॥२॥ ॐ ही श्री दधिरसकलशेन श्रीसिद्धचक्रं स्नपयामीति स्वाहा ॥ ॥ इति दधिस्नात्रम् ॥
श्री सिद्धचक्र पूजन विधि
॥५२॥
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