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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ २५ ॥ ॥ अथ पूजनम् ॥ पूजन करनाराओए कुसुमांजलि लइने यंत्र सन्मुख ऊभा रहेवू परमेश्वर ! परमेष्ठिन् ! परमगुरो ! परमनाथ परमार्हन् ! परमानन्तचतुष्टय ! परमात्मस्तुभ्यमस्तु नमः । (आर्या) ए श्लोक-बोली जिनसन्मुख कुसुमांजलि करवी, पछी शक्रस्तव-नमुत्थुणं स्तोत्र भणदुं । ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौ हुः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः अत्र अवतरत अवतरत, संवौषट् । नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा ॥ आह्वान-मुद्राए आह्वान करवू । 'हः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठः ठः । नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा ॥ स्थापन-मुद्राए स्थापन करवू । ॐ हाँ ह्रीं हूँ ह्रौं हुः असिआउसा सिद्धपरमेष्ठिनः मम सन्निहिता भवत भवत, वषट् । नमः सिद्धपरमेष्ठिभ्यः स्वाहा ॥ सन्निधान-मुद्राए सन्निधान करवू । श्री सिद्धचक्र पूजन विधि ॥२५॥ For Personal Price Use Only
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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