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________________ श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥८५॥ स्नात्र १५ - ॐ एवं यन्नामाक्षर-पुरस्सरं संस्तुता जया देवी । कुरुते शान्तिं नमतां, नमो नमः शान्तये तस्मै ॥१५॥ ह्रीं स्वाहा ॥ स्नात्र १६ - ॐ इतिपूर्वसूरिदर्शित-मन्त्रपदविदर्भितः स्तवः शान्तेः । सलिलादिभयविनाशी शान्त्यादिकरश्च भक्तिमताम् ॥१६॥ ह्रीं स्वाहा ॥ स्नात्र १७ - ॐ यश्चैनं पठति सदा, श्रृणोति भावयति वा यथायोगम् । स हि शान्तिपदं यायात्, सूरिः श्रीमानदेवश्च ॥१७॥ ह्रीं स्वाहा ॥ १८ - ॐ सनमो विप्पोसहि-पत्ताणं संतिसामिपायाणं । झौं-स्वाहा-मंतेणं, सव्वासिवदुरियहरणाणं ॥१८॥ ह्रीं स्वाहा ॥ १९ - ॐ संतिनमुक्कारो, खेलोसहिमाइलद्धिपत्ताणं । सौं ही नमो सव्वोसहि-पत्ताणं च देइ सिरिं ॥१९॥ ही स्वाहा २० - ॐ पणवीसा य असीया, पणरस पन्नासजिणवरसमूहो । नासेउ सयलदुरियं, भवियाणं भत्तिजुत्ताणं ॥२०॥ ह्रीं स्वाहा ॥ श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥८५॥ Jan Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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