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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ २२ ॥ (२) ॐ ही मेघकुमाराय धरां प्रक्षालय प्रक्षालय हूँ फुट् स्वाहा ॥ आ मंत्र बोली डाभ पाणीमां बोळी भूमि उपर छांटवू । (३) ॐ भूरसि भूतधात्रि सर्वभूतहिते भूमिशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । आ मंत्र बोली भूमि उपर चंदनना छांटणा करवा-भूमिशुद्धि । (४) ॐ नमो विमलनिर्मलाय सर्वतीर्थजलाय पाँ पाँवा वा ज्वी क्ष्वी अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा ॥ आ मंत्र बोली चेष्टापूर्वक स्नान करवू । (५) ॐ विद्युत्स्फुलिंगे महाविद्ये सर्वकल्मषं दह दह स्वाहा ॥ आ मंत्र बोली बन्ने भूजाओने स्पर्श करवो-कल्मषदहन । (६) क्षि प ॐ स्वा हा, हा स्वा ॐ प क्षि ॥ ए मंत्राक्षरो अनुक्रमे चडउतर आरोहावरोह क्रमे नीचेना अवयवो ढींचण १, नाभि, २, हृदय ३, मुख ४ अने ललाट-मस्तक ५ एम पांच स्थळे स्थापी-आत्मरक्षा करवी। |श्री सिद्धचक्र पूजन विधि ॥२२॥ Jain Education in For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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