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________________ THMARA श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥६०॥ बेसी, सुगंधी तेल तथा आमळा प्रमुखनु चूर्ण तथा उपलेट प्रमुख उगटणे विधिपूर्वक तैलमर्दनादिक करी मंत्रित जळे स्नान करे ॐ ही अमले विमले विमलोद्भवे सर्वतीर्थजलोपमे पापा पा अशचिः शुचिर्भवामि स्वाहा । आ मंत्र त्रण वार भणी हाथ वडे सर्वागने स्पर्श करे. आ प्रमाणे त्रण वार स्पर्श करी मंत्रस्नान करे । (५) पछी नवां, शुद्ध, धोयेला बे वस्त्र हाथमां लई ॐ ही आँ क्रौं नमः । ए मंत्र वडे त्रण वार मंत्रीने वस्त्र पहेरे । (१) पछी ते वृद्धस्नात्रिया श्रावक | बीजा त्रण श्रावक पासे जुदा जुदा केसर घसावे, तेनी त्रण जुदी वाटकी भरावे, तेमांथी एक देवपूजा माटे, एक तिलका दिने माटे अने एक ग्रहादिकने आलेखवाने माटे । तथा बीजा बे श्रावको पासे पीजेला शुद्ध रूनी २१४ दिवेट भेगी करावे, तथा बे मोटी ग्रेवासूत्रनी दिवेट एम कुल २१६ करावे । विध्यंतरे १०८ सुतरना तारवाळी बे दिवेट करावे । (७) सूत्रनो दडो लईने वृद्धस्नात्रिया, दक्षपुरुष कंकणमंत्रे १०८ वार अथवा २१ वार मंत्रे. कंकणमंत्र-ॐ ह्रीं अवतर अवतर सोमे सोमे कुरु कुरु वग्गु वग्गु सुमणे सोमणसे महमहुरे ॐ कविले कः क्षः स्वाहा । आ प्रमाणे मंत्रीने बधा स्नात्रियाने हाथे बांधे । बीजां स्नात्र उपयोगी सर्व उपकरणोने बांधे । कंकण बंधावे तेने जघन्यथी आठ दिवसना ब्रह्मचर्य- पच्चक्खाण करावे. (८) चार मुख्य श्रावक तिलकनुं केसर श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि विधि ॥६० ॥ Jain Education n ational For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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