SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥८ ॥ ॐ भवणवइवाणवंतर-जोइसवासीविमाणवासी य । जे केवि दुटुदेवा, ते सव्वे उवसमंतु मम स्वाहा । उपरोक्त गाथा भणतां उद्यानादिकपवित्र स्थाने जq. (३) त्यां कुसुमांजलि, जन्माभिषेक, कळश विधिपूर्वक स्नात्र भणावq, विस्तारपूर्वक मालोद्घाटन करवं. (१) ॐ भूतश्रीभूतधात्रि विश्वाधारे नमः । ए मंत्र सात वार भणी वासपुष्पे भूमि पूजीए (इति भूमिशुद्धि मंत्र)(२) ॐ ह्रीं श्रीं अर्हत्पीठाय नमः आ मंत्र सात वार गणी पीठिकास्थापन | H भूमि शुद्ध करवी । (३) ॐ ह्रीं अस्मिनह्नि पृथ्वीमण्डलाय स्वाहा । आ मंत्र बोली नवकार गणी बाजोठ स्थापन करीए.(४) ॐ स्थिराय शाश्वताय निश्चलाय पीठाय नमः आ मंत्र त्रण वार भणी परनाळीयो बाजोठ स्थापन करवो. (५) ॐ ह्रीं क्षा सर्वोपद्रवाद् रक्ष रक्ष स्वाहा । आ मंत्र सात वार भणी भूमिशुद्धि करवी. (६) ॐ आपोऽप्काया एकेन्द्रिया श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि विधि ॥८॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy