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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १४० ॥ Jain Education International (१३) तिलक विधि : इसके बाद भी पार्श्वनाथ भगवान और पद्मावती माताजी को दर्पण बताकर उसमें दर्शन करना । फिर “ॐ ह्रीं नमः" बोलकर स्वयं के ललाट पर लाल चंदन का तिलक करना । और बाद में उत्तर साधक के तिलक करना । पश्चात् पूजन में पधारे हुए भविकों को तिलक करना । (१४) श्री पार्श्वनाथ पूजन : तिलक विधि करने के बाद “ॐ ह्रीँ अर्हं श्री पार्श्वनाथाय नमः" यह मंत्र बोलकर भगवान पार्श्वनाथ का तीन बार वासक्षेप से पूजन करना । यही मंत्र बोलते हुए पाँच जाति के उत्तम पुष्प चढ़ाना । और फूलों का बढ़िया हार पहिनाना और साथ ही श्री पद्मावती माताजी को भी हार पहिनाना । (१५) साथीआ : फिर अग्रभाग के अधिकार से शुद्ध अच्छे-चावलों का नन्दावर्त्त अथवा स्वस्तिक करना । उस पर रूपा नाणां या सोना या फल नैवेद्य चढ़ाना । For Personal & Private Use Only श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि ॥ १४० ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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