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विविध पूजन संग्रह
॥ १२९ ॥
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थोय :
इन्द्रभूति अनुपम गुण भर्या, जे गौतम गोत्रे अलंकर्या । पंच शत छात्रशुं परिवर्या, वीरचरण लही भवजलतर्या । श्री इंद्रभूतिं गणवृद्धिभूतिं, श्री वीर तीर्थाधिपमुख्यशिष्यम् । सुवर्णकांति कृतकर्मशांति, नमाम्यहं गौतम गोत्ररत्नम् । छंद
जयो जयो गौतम गणधार, मोटी लब्धि तणो भंडार । समरे वंछित सुख दातार, जयो जयो गौतम गणधार ॥१॥ वीर वजीर वडो अणगार, चौद हजार मुनि शिरदार । जपतां नाम हढवे जयकार, जयो जयो ०
॥२॥
गय गमणी रमणी जगसार । आपे कनक कोडी विस्तार जयो जयो० ॥३॥ घेर धोडा पायक नहि पार, सुखासन पालखी उदार । वैरी विकट थाये विसराल, जयो जयो० ॥४॥ प्रह उठीये जपिये गणधार, ऋद्धि सिद्धि कमला दातार । रहे चंद ए सुमतगार, जयो जयो० ॥५॥
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श्री गौतमस्वामी पूजनविधि
॥ १२९ ॥
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