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विविध पूजन संग्रह
।। ११५ ।।
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१. ॐ ह्रीँ अर्हं आमोसहिपत्ताणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ २. ॐ ह्रीं अर्ह विप्पोसहिपत्ताणं झौ झो स्वाहा ॥ ३. ॐ ह्रीँ अर्ह खेलोसहिपत्ताणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ ४. ॐ ह्रीँ अर्हं जल्लोसहिपत्ताणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ ५. ॐ ह्रीं अर्ह सव्वोसहिपत्ताणं झौ झीँ स्वाहा ॥ ६. ॐ ह्रीँ अर्ह संभिन्नसोयाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ ७. ॐ ह्रीं अर्ह ओहिनाणाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ ८. ॐ ह्रीं अर्ह मनः पज्जवनाणाणं झौं झ्रों स्वाहा ॥ ९. ॐ ह्रीँ अर्ह विउलमईणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ १०. ॐ ह्रीँ अईं चारणलद्धीणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ ११. ॐ ह्रीं अर्हं आसीविसाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ १२. ॐ ह्रीँ अर्हं केवलनाणाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ १३. ॐ ह्रीँ अर्हं गणहरपयाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥ १४. ॐ ह्रीं अर्ह पुव्वहरपयाणं झीँ झीँ स्वाहा ॥
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श्री गौतमस्वामी पूजनविधि
॥ ११५ ॥
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