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विविध पूजन संग्रह
॥ ११४ ॥
ॐ ह्रीँ श्री मण्डिताय नमो नमः स्वाहा ॥ ६. ॐ ह्रीं श्री मौर्यपुत्राय नमो नमः स्वाहा ॥ ७. ॐ ह्रीं श्रीं अकम्पिताय नमो नमः स्वाहा ॥ ८ ॐ ह्रीं श्री अचलभात्रे नमो नमः स्वाहा ॥ ९ ॐ ह्रीं श्रीं मेतार्याय नमो नमः स्वाहा ॥
१० ॐ ह्रीं श्री प्रभासाय नमो नमः स्वाहा ॥ (मण्डल में एक-एक दाडम (अनार), मिठाई और १। रूपिया और यंत्र में कुसुमांजलि से पूजन करना ॥)
लब्धिपद पूजन :- तीसरा वलय ज्ञान ध्यान तपादि करने से आत्मा में अनन्य प्रकार की शक्ति प्रगट होती है । जिससे अनेक महापुरुष जैनशासन की अनुपम प्रभावना करते हैं । ऐसी लब्धियां अनन्त है । उनमें से विशेष प्रकार की २८ लब्धियाँ श्री गौतमस्वामीजी को प्राप्त थी ।
मण्डल के अन्दर एक-एक खारेक और यंत्र के उपर वासचूर्ण द्वारा पूजन करना है ॥
श्री गौतमस्वामी पूजनविधि ॥११४॥
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