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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १०५ ॥ Jain Education International ( १५ ) यंत्र स्थापन ॐ अर्ह ऐं ह्रीँ लब्धिसंपन्न श्री गौतमस्वामिने नमः स्वाहा ॥ (१६) श्री महावीर परमात्मा की अष्ट प्रकारी पूजा नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय-सर्व-साधुभ्यः बोलकर निम्नोक्त स्तुति करना । श्रीमते वीरनाथाय सनाथायाद् भुतश्रियाः । महानंदसरोराज, मरालायाऽर्हते नमः । कल्याणपादपारामं श्रुतगंगाहिमाचलम् । विश्वाम्भोजरविं देवं वन्दे श्री ज्ञातनंदनं । वर्धमान जिनेन्द्रस्य जननी जनकौ मुदा । त्रिशलाभूपसिद्धार्थो दिशतां मंगलावलिं ॥ "ॐ ह्रीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरा मृत्यु निवारणाय सिंहलाञ्छन सुशोभिताय अष्टप्रातिहार्ययुक्ताय केवलज्ञानभास्कराय देवाधिदेवाय श्रीमते वीरजिनेन्द्राय जलं चंदनं पुष्पं धूपं दीपं अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहा ॥ " अष्ट प्रकारी पूजा करके प्रतिमाजी सिंहासन अथवा मण्डल के बीच में स्थापित करना । For Personal & Private Use Only श्री गौतमस्वामी पूजनविधि ॥ १०५ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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