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॥ ८९ ॥
શાન્તિસ્નાત્ર વિધિ
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स्नात्र १९ - ॐ संतिनमुक्कारो, खेलोसहिमाइलद्धिपत्ताणं ।
साँ ह्रीँ नमो सव्वोसहि पत्ताणं च देइ सिरिं ॥ १९ ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥ स्नात्र २०- ॐ पणवीसा य असीया, पणरस पन्नास जिणवरसमूहो ।
नासेउ सयलदुरियं भवियाणं भत्तिजुत्ताणं ॥ २० ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥ स्नात्र २१ - ॐ वीसा पणयाला वि य, तीसा पन्नत्तरी जिणवरिंदा ।
गह- भूअ - रक्ख-साइणी, घोरुवसग्गं पणासंतु ॥ २१ ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥ स्नात्र २२ - ॐ सत्तरि पणतीसा विय, सट्ठी पंचे व जिणगणो एसो । वाहिजलजलणहरिकरि-चोरारिमहाभयं हरउ ॥ २२ ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥ स्नात्र २३- ॐ पणपन्ना य दसेव य, पन्नट्ठी तहय चेव चालीसा । रक्खंतु मे सरीरं, देवासुरपणमिया सिद्धा ॥ २३ ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥ स्नात्र २४ - ॐ श्रीमते शान्तिनाथाय नमः शान्तिविधायिने । त्रैलोक्यस्यामराधीश मुकुटाभ्यर्चितांप्रये ॥ २४ ॥ ह्रीँ स्वाहा ॥
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શાન્તિસ્નાત્ર વિધિ
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