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________________ अढार अभिषेक विधिः। ॥२॥ BXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX बीजु (पंचरत्न चूर्ण) स्नात्र १ मोती, २ सोनु, ३ रूपु, ४ प्रवाल अने ५ तांबु ए पंचरत्ननु चूर्ण करी उपरनी जेमज कुडीमा वास चंदन पुष्प वाला पाणीमां नाखी चार कलशा भरी 'नमोऽहत' नो पाठ कही नीचेना श्लोको अने मंत्र बोली न्हवण करवु। . यन्नामस्मरणादपि श्रुतवशाद-प्यक्षरोच्चारतो, यत्पूर्ण प्रतिमा प्रणाम-करणासंदर्शनात्स्पर्शनात् ।। भव्यानां भवपङ्क-हानिरसकृत्स्यात्तस्य किंसत्पयः, स्नात्रेणापि तथा स्वभक्तिवशतो रत्नोत्सवे तत्पुनः॥१॥ नानारत्नौघसंयुतं, सुगन्धपुष्पाभिवासितं नीरम् । पततादिचित्रचूर्णं, मन्त्राढ्य स्थापनाबिम्बे ॥२॥ __ “ॐ हाँ ही परम अहंते मुक्तास्वर्णरौप्यप्रवालव्यम्बकपञ्चरत्नैः स्नापयामीति स्वाहा" आम दरेक स्नात्र काव्यो अने मंत्र बोलवापूर्वक ते ते स्नात्र करी तिलक, पुष्प, वास, धूप विगेरेथी पूजन करवु। ॥इति द्वितीयस्नात्रम् ॥ त्रीजु (कषाय) स्नात्र कषायचूर्णयुक्त पाणीना कलशो भरी 'नमोऽहत्' कही TOMATKARXXXXXXXXXXXXXXXXX Inn Education in For Personal & Private Use Only
SR No.600248
Book TitleAdhar Abhishek Vidhi
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages26
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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