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________________ अढार अभिषेक विधिः। ध्वजदंड मंत्र-मापयंत्र ॥१८॥ XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX देशना कार्या । संघदानम् । अष्टाटिकापूजा विषमदिने ३, ५, ७, जिनबलिं प्रक्षिप्य चैत्यवन्दनं विधायः शान्तिनाथादिकायोत्सर्गान् कृत्वा महाध्वजस्य छोटनम् । संघादिपूजाकरणं यथाशक्त्या ॥ ॥ इति ध्वजारोपणविधिः समाप्तः ॥ . ॥ध्वजादंड शिखर अने धजानो मंत्र॥ ॐही श्री ग्ल्यू क्षम्ल्यू हम्ल्यू क्ली३ औं क्रौं अरिहंत-शिखर-दंड-ध्वजेषुवासिदेवदेवीनां संघस्य च शांति पुष्टिं तुष्टिं ऋद्धिं वृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।। ॥ध्वजा तथा दंडनु माप विगेरे मंत्र ॥ (१) रेखाए देरासर जेटलुलाबुहोय, तेटलो ध्वजादंड लांबो करवो. घुमटना प्रमाणनो दंड लांबो चाली शके. (२) गभारा करता शिखर बे इंच रेखाए मोटुहोय तेथी ध्वजादंड गभाराना पद करतां बेइंच मोटो करवो. (३) मंदिरनी उंचाईना त्रीजा भागे ध्वजादंड लांबो करबो. (४) ध्वजादंड जेटलो लांबो होय तेना पहेला गजे० ॥ अंगुल अने बाकीना गजे० ॥ अंगुल व्यास लेवो. (५) ध्वजादंडनी लंबाईना छट्ठा मागे पाटलीनी लंबाई करवी. (६) लंबाईनी अडधी पहोलाई करवी, अने पहोलाईथी अडधी जाडाई करवी.. ॥१८॥ Jain Education n ational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600248
Book TitleAdhar Abhishek Vidhi
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages26
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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