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________________ ॥ २ ॥ ***** बे शब्द अमारी ग्रन्थमाला तरफथी साहित्य प्रकाशनमा विविधिविषयना १७० ग्रन्थो प्रगट थया छे. तेमां आ ग्रन्थ १३८ मा ग्रन्थांक तरीके प्रगट थएल छे. २०४१ मां ते छपावेल तरत खपी जतां आ बीजो आवृत्ति छपावली छे. आ आवृत्तिमां १८ अभिषेक विधि उपरांत ध्वजारोपणविधि कलशारोपणविधि अष्टमंगल श्लोको परिकर प्रतिष्टा विधि उमेर्या छे. जे आ विषयने लगता विषयो छे. सौ भक्तिप्रेमी आत्माओ आ ग्रन्थ द्वारा जिनाभिषेकादि करवा द्वारा स्वयं निर्मल थाओ एज अभिलाषा. लि० मेहता मगनलाल चत्रभुज व्यव. श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ता० १-९-८७ शाक मारकेट सामे 'जामनगर ( सौराष्ट्र ) Jain Education International क्रमः ५ अनुक्रमः विधि: अढार अभिषेकविधिः कलशारोपण विधि: ध्वजारोपणविभिः अष्टमंगलश्लोकाः जिनबिम्बपरिकर प्रतिष्ठा विधिः पृष्ठ १ १४ १६ २० २२ For Personal & Private Use Only पृष्ठ ८ शुद्धिपत्रकम् अशुद्धं पंक्ति: १० श्रीसिसि शुद्धम् श्री सिद्धि मुद्रक : गौतम आर्ट प्रिंटर्स ब्यावर ( राज० ) ॥ २ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600248
Book TitleAdhar Abhishek Vidhi
Original Sutra AuthorJinendrasuri
Author
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages26
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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