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प्रज्ञापना
याः मलय० वृत्तौ .
॥३१३॥
कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउषीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, वाणमंतरजोइसिया जाव गेवेज्जगदेवते जहा नेरइयत्ते, एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स विजयवेजयंतजयंत अपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गो० ! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अत्थि अट्ठ वा सोलस वा, केवइया बद्धेल्लगार, नत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्सऽत्थि अट्ठ वा सोलस वा, एगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स वा सबट्ठसि - गदेवते केवतिता दबिंदिया अतीता ?, गो० ! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि अट्ठ, केवइया बद्धे लगा ?, णत्थि, केवइया पुरेक्खडा १, कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अत्थि अट्ठ, वाणमंतरजोतिसिए जहा नेरतिए । सोहम्मगदेवे वि जहा नेरइए, नवरं सोहम्मगदेवस्स विजयवेजयंतजयंतापराजियत्ते केवइया अतीता १, गो० ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ, केवइया बद्धेलगा ?, णत्थि, केवइया पुरेक्खडा १, गो० ! कस्सइ अत्थि कस्सति णत्थि, जस्स अ अट्ठवा सोलस वा, सद्दट्ठसिद्धगदेवत्ते जहा नेरइयस्स, एवं जाव गेवेजगदेवस्स, सङ्घट्टसिद्धग ताव णेतवं । एगमेगस्स णं भंते! विजयवेजयंतजयंतापराजितदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता १, गो० ! अनंता, केवइया बद्धेलगा १, णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, णत्थि, एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते मणूसत्ते अतीता अणंता, बद्धेल्लगा णत्थि, पुरेक्खडा अट्ट वा सोलस वा चवीसा वा संखेजा वा, वाणमंतरे जोइसियत्ते जहा नेरइयत्ते, सोहम्मगदेवत्तेऽतीता अनंता, बद्धेलगा णत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा, एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते, विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवतिया बद्धे
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१५ इन्द्रि यपदे
उद्देशः २
॥३१३॥
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