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________________ 26 प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्ती. ६ उपपा| तोद्वर्त्तना| पदे नार| कादीनामागतिः सू. १२९ ॥२१०॥ एहिंतो उववजंति किं पञ्जत्तएहिंतो उववजंति अपञ्जतगेहिंतो उववजंति ?, गोयमा ! पजत्तगसंमुच्छिमेहिंतो उववजंति नो अपज्जत्तगसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति, जइ गब्भवतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पजत्तएहिंतोउ० अपजत्तएहिंतो उ०१, गोयमा! पजत्तगगब्भवतिएहिंतो उववअंति नो अपजत्तगगब्भवतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववअंति, जइ भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं समुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति गम्भवकंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति?, गोयमा! दोहितोऽवि उववजंति, जइ संमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पजत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए. हिंतो उववजंति अपञ्जत्तयसमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववअंति ?, गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववजंति नो अपजत्तएहिंतो उववअंति, जइ गब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजति किं पजत्तएहिंतो उववजंति अपञ्जत्तएहितो उववअंति?, गोयमा! पजत्तएहिंतो उववजंति नो अपञ्जत्तएहिंतो उववअंति, जइ खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं संमच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववञ्जति गब्भवतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ?, गोयमा! दोहिंतोऽवि उववअंति, जइ संमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पञ्जत्तएहिंतो उववजंति अपञ्जत्तएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! पज्जत्तएहितो उववजंति नो अपजत्तएहिंतो उववजंति, जइ पञ्जत्तगगम्भवतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं संखे ॥२१॥ Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.iainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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