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प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्ती.
| ५ पर्यायपदे पञ्चेन्द्रियतिरश्चांसू.
॥१९॥
त्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिबोहियणाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नाभिणिबोहियणाणिस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए वनगंधरसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए आभिणिवोहियनाणपज्जवहिं तुल्ले सुयनाणपञ्जवेहिं छट्ठाणवडिए चक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसाभिणिबोहियनाणीवि, णवरं ठिईए तिढाणवडिए, तिनि नाणा तिनि दंसणा सहाणे तुल्ले सेसेसु छट्ठाणवडिए, अजहन्नमणुकोसाभिणिवोहियनाणी जहा उक्कोसाभिणिबोहियनाणी णवरं ठिईए चउहाणवडिए, सहाणे छहाणवडिए, एवं सुयनाणीवि, जहन्नोहिनाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा !, जहन्नोहिनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहमोहिनाणिस्स पचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउहाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं आभिणिबोहियनाणसुयनाणपज्जवेहिं छहाणवडिए ओहिनाणपजवेहिं तुल्ले, अनाणा नत्थि, चक्खुदसणपञ्जवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य ओहिदसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसोहिनाणीवि अजहनोकोसोहिनाणीवि एवं चेव, गवरं सहाणे छट्ठाणवडिए, जहा आभिणिबोहियनाणी तहा मइअन्नाणी सुयअन्नाणी य, जहा ओहिनाणी तहा विभंगनाणीवि, चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी य जहा आभिणिबोहियनाणी, ओहिदंसणी जहा ओहिनाणी, जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणावि अन्नाणावि अत्थित्ति भाणियत्वं (सूत्रं० ११५) जहन्नोगाहणगाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्न
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