SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीराजप्रश्नी मलयगिरीया वृत्तिः दिव्ययानकारणं सु०१४ से जहानामए भिंगे इ वा भिंगपत्तेइवा सुए इवा सुयपिच्छे इवा चासेइ वा चासपिच्छे इवा णीली इवा णीलीभेदे इ वा णीलीगुलिया इ वा सामा इ वा उच्चन्ते इ वा वणराती इ वा हलधरवसणे इ वा मोरग्गीवा इ वा अयसिकुसुमे इ वा बाणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा णीलासोगे इ वा णीलबंधुजीवे इ वा णीलकणवीरे इ वा, भवेयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं णीला मणी एत्तो इतराए चेव जाव वण्णणं पण्णत्ता। तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ने, से जहाणामए उरभरुहिरे इ वा ससरुहिरे इ वा नररुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा (महिसरुहिरे इवा ) बालिंदगोवे इ वा बालदिवाकरे इ वा संझब्भरागेइ वागुंजद्धरागे इ वा जासुअणकुसुमे इ वा किंसुयकुसुमे इ वा पालियायकुसुमे इ वा जाइहिंगुलए ति वा सिलप्पवाले ति वा पवालअंकुरे इ वा लोहियकखमणी इ वा लक्खारमगे ति वा किमिरागकंबले ति वा चीणपिरासी ति वा रतुप्पले इ वा रत्तासांगे ति वा रत्तकणवीरे ति वा रत्नबंधुजीवेति वा, भवेयारूवे सिया ?.णो इणढे समढे, ते णं लोहिया मणी इत्तो इट्टतराए चेव जाव वण्णेणं पं० । तत्थ णं जे ते हालिद्दा मणी तेसिणं मणीणं इमेयारूवे वण्णावामे पण्णत्ते- से जहाणामए चंपे ति वा चंपछल्ली ति वा ( चंपगभेए इ वा ) हल्लिद्दा इ वा हलिहाभेदे ति वा हलिदगुलिया ति वा हरियालिया Jain Education For Personal & Private Use Only JHUMinelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy